मंहगाई ह लाल कर दिहिस, बेरोजगारी नीला । मोर चेहरा ह परगे बाबू, फकफक ले ग पीला।। मनमोहन ल जीताके बड़ पछताएन, ए दारी के होली म। हमूं मनाएन तुंहु मनावा, ए दारी के होली ल ।। मनमोहन के मार ह महंगा, चाउंर महंगी दार ह मंहगा। पेट्रोल मंहगी, डीजल मंहगा, होली के तिहार ह महंगा । रमन ल जीताके बड़ पछताएन, ए दारी के होली म। हमूं मनाएन तुंहु मनावा, ए दारी के होली ल ।। बजट के पहिली कर लगा दिस, धान म बोनस नइ दिस । अधिकारी मन खधरा होगे, रमन तहूं ह लबरा होगे । करके भरोसा बड़ पछताएन, ए दारी के होली म । हमूं मनाएन तुंहु मनावा, ए दारी के होली ल ।। लालू खेलय गोठ के होली, माया खेलय नोट के होली। नेता मन के बोट के होली, जनता के हर चोट के होली। नक्सल के बारूद के होली, मराठी मानुस के होली। गउटिया घर के सोनहा होली, समारू के रोनहा होली। कुकरा-बकरा के लागय बोली, गंजहा-भंगहा-दरूहा होली। के किलकारी होली, लइका के पिचकारी होली। ददा के दुलरूवा होली, भउजी के मयारू होली। छत्तीसगढि़या फागुन होरी, भारत के मनभावन होली। होरी, होरी, होरी, होरी, होली-होली सबके होली। नइ हे नंगाड़ा टीपा बजाबो, रंग नइ पाबो चिखला म सनाबो। तू कुटहा त हम काबर लजाबो, गुलाल नइ पाबो राख लगाबो। जतका भुगतेन सबला भुलावा, ए दारी के होली म। हमू मनाएन तुंहु मनावा, ए दारी के होली म।