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रविवार, 8 मई 2011

मै घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई ........


मैंने रोते हुवे पोंछे थे किसी दिन आंसू
मुद्दतो माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना

लबो पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई
मै
घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है



मुनव्वर राणा

1 टिप्पणी:

निर्मला कपिला ने कहा…

एक एक शब्द हर शेर का दिल को छू गया\ मुन्नबर राना जी कमाल की गज़लें कहते हैं धन्यवाद उन्हें पढवाने के लिये।