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सोमवार, 5 मार्च 2012

अबीर ही अबीर है ... विमल किशोर दुबे


रंगो की दुकान
मेरा देश हिन्दुस्तान
विविधता के रंग-संग
उमंग और तरंग है
राम है, रहीम है,
नानक और कबीर है,
आज मेरे देश में
अबीर ही अबीर है ...

गांधी का ये देश है
सुभाष की ये शान है
अनगिनत शहीदों के
यही शरीर-प्राण है
प्रेम का संदेश बन
जो मर मिटा वो हीर है,
आज मेरे देश में
अबीर ही अबीर है ...

वसुंधरा की आन पर,
स्वदेश की शान पर,
आंच भी आ जाए तो
एक ही आवाज पर
सर-कफन का बांधकर
खड़ा हर एक नीड़ है,
आज मेरे देश में
अबीर ही अबीर है ...

फागुन में होली
रमजान में ईद है
खुशी यहां सभी की है,
यहां आदमी की जीत है
हर कोई यहां सांई,
हर कोई पीर है
आज मेरे देश में
अबीर ही अबीर है ...

बसंती बयार है,
देख मेरे गांव में
कोयल की कूक न्यारी,
अमरैया छांव में
प्यास भी सिमट गया
घर-घर में नीर है
आज मेरे देश में
अबीर ही अबीर है ...

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