नवभारत टाईम्स की खबर में कहा गया है कि -
राजेश खन्ना बॉलिवुड के सुपर स्टार तो थे ही, राजनीति में भी उन्होंने एक स्टार की हैसियत से ही कदम रखे और दिल्ली उनका पॉलिटिकल स्टेज बनी। नई दिल्ली लोकसभा सीट से उन्होंने तीन बार चुनाव लड़ा और एक बार जीत भी हासिल की।
बॉलिवुड के दो सुपर स्टार्स अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना को राजनीति में लाने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को जाता है। इंदिरा गांधी की हत्या की बाद जहां अमिताभ बच्चन अपने बाल सखा की मदद करने के लिए राजनीति में आए, वहीं राजेश खन्ना के कांग्रेस में आने की वजह भी राजीव गांधी ही बने। कहा जाता है कि बोफोर्स मामले के चलते जब गांधी और बच्चन परिवार में दूरियां बढ़ गईं, तो अमिताभ को मैसेज देने के मकसद से ही राजीव फिल्मों में उनके प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले राजेश खन्ना को राजनीति में लाए। हालांकि इसके पीछे एक वजह फिल्म स्टार्स की लोकप्रियता का इस्तेमाल करना भी था, जिसका चमत्कार राजीव गांधी 1984 के लोकसभा चुनावों में इलाहाबाद में भी देख चुके थे।
राजेश खन्ना ने नई दिल्ली सीट से तीन बार लोकसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमाई। 1991 में राजीव गांधी ने बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के सामने राजेश खन्ना को उतारा। कांग्रेसी सूत्रों के अनुसार, राजेश खन्ना के नाम का ऐलान आखिरी वक्त पर किया गया, जो खुद कांग्रेसियों के लिए भी किसी आश्चर्य से कम नहीं था। कहते हैं कि राजनीति के चलते कहीं न कहीं राजेश खन्ना और उनकी पत्नी डिंपल कापडि़या के बीच की दूरियां भी कम हुईं। दरअसल, लोकसभा चुनाव में राजेश खन्ना के प्रचार में उनकी पत्नी डिंपल ने भी सक्रियता से भाग लिया था। इससे पहले दोनों के बीच रिश्ते काफी तल्ख थे। उस दौरान राजेश खन्ना और डिंपल की लोकप्रियता का जादू युवा वोटरों पर इस तरह चढ़ा कि राजेश मामूली अंतर से ही आडवाणी से हारे।
आडवाणी गांधीनगर से भी चुनाव लड़े और जीते। बाद में आडवाणी ने नई दिल्ली सीट छोड़ दी। उपचुनाव में कांग्रेस ने फिर राजेश खन्ना को मौका दिया और इस बार उन्होंने बीजेपी कैंडिडेट व जानेमाने फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा को हराया। चुनाव में फिल्मी ग्लैमर के बीच मुकाबला होने के कारण वह उपचुनाव काफी रोचक हुआ। प्रचार के दौरान दोनों के फिल्मी लटकों झटकों और डॉयलॉग्स ने वोटर्स का खूब मनोरंजन किया। 1996 में राजेश ने एक बार फिर इसी सीट से अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन इस बार वह बीजेपी के वरिष्ठ नेता जगमोहन से हार गए।
इस चुनाव के बारे में एनबीटी से बातचीत में पूर्व राज्यपाल व केंद्रीय मंत्री जगमोहन ने बताया कि मुझे जब नई दिल्ली से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया, तो उस वक्त तक मुझे पता नहीं था कि मेरे सामने कौन होगा। बाद में मुझे राजेश खन्ना के बारे में पता चला। खुद को राजेश खन्ना का बहुत बड़ा फैन मानने वाले जगमोहन का कहना है कि राजेश खन्ना से एकाध मुलाकातों को छोड़कर कोई खास मुलाकात नहीं हुई। उस चुनाव के बारे में उनका कहना था कि हम दोनों की ओर से वह चुनाव काफी सोबर तरीके से लड़ा गया। आज की तरह एक दूसरे पर छींटाकशी जैसी चीज नहीं हुई। जगमोहन बताते हैं कि उस चुनाव में दिल्ली के पूर्व पार्षद व कांग्रेसी नेता जगप्रवेश चंद्रा ने राजेश खन्ना के इलेक्शन एजेंट की भूमिका निभाई थी।
जगमोहन से हारने के बाद राजेश खन्ना ने राज्य सभा में पहुंचने की कोशिशें भी कीं। राज्य सभाके लिए अपनी लॉबिंग के सिलसिले में वह दिल्ली के वसंत विहार इलाके में कोठी खरीद कर रहनेलगे। लेकिन काफी कोशिशें के बाद भी जब उन्हें सफलता नहीं मिली, तो राजनीति से उनकामोहभंग हो गया और फिर उन्होंने राजनीति को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
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