समय लाईव ने लिखा है
राजेश खन्ना ने राजनीति के अखाड़े में भी दांव पेंच आजमाए थे. 1991 के लोकसभा चुनाव में ‘काका’ भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से सिर्फ 1589 मतों से हारे.
उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को चुनावी मैदान में कड़ी चुनौती दी थी और यूं भी कहा जा सकता है कि उनके इस मुकाबले के बाद ही आडवाणी ने दिल्ली छोड़ गुजरात का रुख किया था.
1991 के लोकसभा चुनाव में ‘काका’ नयी दिल्ली संसदीय सीट से मैदान में थे और भाजपा ने अपने कद्दावर नेता आडवाणी को उनके मुकाबले में उतारा था. यह वह दौर था जब आडवाणी का राष्ट्रीय राजनीति में डंका बजता था.
चुनाव में अभिनेता और नेता के बीच कड़ा मुकाबला हुआ और राजनीति का गहन अनुभव रखने वाले आडवाणीराजेश खन्ना की लोकप्रियता से टक्कर नहीं ले सके. वह चुनाव जीत तो गए लेकिन बेहद मामूली अंतर से. आडवाणी को 93,662 वोट मिले तो वहीं राजेश खन्ना ने नौसिखिया होने के बावजूद 92,073 वोट हासिल कर अपनी लोकप्रियता का सिक्का जमा दिया.
आडवाणी राजेश खन्ना से मात्र 1589 मतों से ही चुनाव जीत सके जबकि उसी समय गांधीनगर में उन्होंने सवा लाख से भी अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीता था.
आडवाणी ने उस समय इन दोनों सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ा था और बाद में नयी दिल्ली की सीट छोड़ दी. उसके बाद से अबतक आडवाणी ने दिल्ली से चुनाव नहीं लड़ा.
आडवाणी ने राजेश खन्ना के निधन पर गहरा शोक जताया:-
आडवाणी ने आज राजेश खन्ना के निधन पर गहरा शोक जताते हुए कहा कि राजेश खन्ना बंबई सिनेमा के एक प्रमुख स्टार थे और उस समय उनकी जो ख्याति थी, वह हमेशा रहेगी.
राजेश खन्ना के साथ राजनीतिक संबंधों के बारे में पूछे जाने पर आडवाणी ने अधिक कुछ नहीं कहते हुए केवल इतना भर कहा कि वह एक अच्छे इंसान थे. जिनकी याद हमेशा रहेगी.
राजेश खन्ना के साथ राजनीतिक संबंधों के बारे में पूछे जाने पर आडवाणी ने अधिक कुछ नहीं कहते हुए केवल इतना भर कहा कि वह एक अच्छे इंसान थे. जिनकी याद हमेशा रहेगी.
जब राजेश खन्ना शत्रुघ्न सिन्हा को दी पटखनी:- कांग्रेस ने आडवाणी के इस्तीफे से खाली हुई नयी दिल्लीसीट पर 1992 में हुए उप चुनाव में फिर राजेश खन्ना को अपना उम्मीदवार बनाया.
इस बार उनका मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार और बालीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा से था. दो अभिनेताओं की लड़ाई में इस बार राजेश खन्ना का पलड़ा भारी रहा और उन्होंने 101625 मत हासिल कर 28,256 मतों के अंतर से शत्रुघ्न सिन्हा को पटखनी दे दी.
काका यह चुनाव जीत कर 1992 से 1996 तक लोकसभा के सदस्य रहे.
1996 के आम चुनाव में राजेश खन्ना का मुकाबला फिर से एक और भाजपा दिग्गज जगमोहन से हुआ. इस चुनाव में जगमोहन को जहां 139945 मत मिले वहीं राजेश खन्ना को 81630 मतों से संतोष करना पड़ा. जगमोहन यह चुनाव 58,315 मतों से जीत गए.
राजेश खन्ना का मलाल:-राजेश खन्ना को बाद में राज्यसभा में भेजे जाने की भी अटकलें लगाई गईं लेकिन ऐसा नहीं हुआ. राजेश खन्ना के करीबी सूत्रों के अनुसार और अभिनय से राजनीति में आई इस हस्ती को यह मलाल रहा कि उन्हें राज्यसभा में नहीं भेजा गया.
लेकिन इस असंतोष के बावजूद विभिन्न चुनावों में उन्होंने कांग्रेस के स्टार प्रचारक के रूप में अपनी भूमिका निभाई.
राजेश खन्ना का स्वास्थ्य काफी लंबे समय से खराब था और कुछ समय तक वह अस्पताल में भी रहे.
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