राजेश खन्ना से जुड़ी यादों को साझा करते हुए नवभारत टाईम्स ने लिखा है
लीना चंदावरकर
किशोरजी (किशोर कुमार-लीना चंदावरकर के पति) जल्दी से किसी से सोशलाइज नहीं होते थे, लेकिन काका के साथ उनका दो जिस्म और एक जान का रिश्ता था। काका अक्सर हमारे घर पर आते थे और किशोरजी के साथ बहुत मजाक मस्ती करते रहते थे।अमित (किशोर के बेटे) से भी उनका बहुत लगाव था। किशोरजी भी अक्सर कहते थे कि मुझे यह लगता ही नहीं कि मैं किसी और को अपनी आवाज दे रहा हूं। मुझे यही लगता है कि मैं खुद गा रहा हूं। किशोरजी के कई कालजयी गाने काका के हिस्से आए थे। वहीं काका भी यही कहते थे कि 'किशोर दा की आवाज तो मेरी ही आवाज है।'
मैंने भी काका के साथ कुछ फिल्मों में काम किया है। वे बहुत अच्छे को-स्टार रहे हैं। सेट पर वे हमेशा फुल ऑफ लाइफ और एनर्जी रहते थे। उनके साथ आल टाइम फेवरिट 'महबूब की मेहंदी' फिल्म में काम किया। उनके साथ मेरी आखिरी फिल्म थी 'ममता की छांव'। जब किशोरदा की मौत हुई तो काका घर पर आए और बच्चों की तरह उनकी तस्वीर के सामने फूट-फूट कर रोने लगे। उनकी तस्वीर से बातें करने लगे कि आपको इस तरह नहीं जाना चाहिए था। काका की बातों और उनके स्वभाव में बनावट बिलुकल नहीं थी। वे एक जिंदादिल इंसान और सच्चे सुपरस्टार के तौर पर हमेशा याद किए जाएंगे।
खाने-पीने के शौकीन थे काकाः आशा पारीख
मैंने उनके साथ बहुत सी हिट फिल्में दी हैं। उनकी स्टारडम के जलवे अपनी आंखों से देखे हैं। किस तरह लड़कियां उनके प्यार में पागल रहती थीं। वे बहुत ही जॉविअल इंसान थे। यही नहीं, उन्हें खाने-पीने का भी बहुत शौक था। डायटिंग करने वाले लोगों को तो वे खास तौर पर कहते कि 'खा लो, खा लो। वरना जब डॉक्टर कहेंगे तब खाओगे!'
जब भी वे फिल्म के सेट पर आते तो उनके लिए मिठाई का इंतजाम होना बहुत जरूरी था। वे मिठाई जरूर खाते थे। अगर कभी-कभी उन्हें मिठाई नहीं मिल पाती तो वे काफी अपसेट भी हो जाते थे। काका को सिर्फ खाने का ही नहीं, खाना बनाने का भी शौक था। अपने कुकिंग के शौक के बारे में वे अक्सर हमसे बातें किया करते थे और रेसिपीज भी शेअर अरते थे। उनका स्वभाव बहुत अच्छा था। सेट पर वे कभी किसी को बोर नहीं होने देते। हमेशा हंसते-हंसाते रहना ही उनका काम था। लेकिन इसके साथ ही वे अपने काम को लेकर भी बहुत डेडिकेटेड थे।
प्रस्तुति: रीना पारीक
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